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राम

‘‘सर्व शाक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः’’

नव वर्ष 2011 के अवसर पर साधकों के लिये पूज्य पिताजी महाराज का शुभ संदेश

नव वर्ष 2011 के शुभ-आगमन पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। राम नाम की ज्योति हम सबके घट मंदिर में प्रज्ज्वलित हो और हम सब प्रातः स्मरणीय ‘गुरू महाराज स्वामी सत्यानन्द’ जी द्वारा दर्शाये पावन पथ पर चलकर अपना जीवन सफल बनायें।

आज इस पावन बेला में मुझे आपसे यह कहना है कि हम सब ‘राम नाम’ के उपासक हैं। गुरूदेव ने बहुत कठिन तपस्या करके इस परम नाम को प्राप्त किया था। उन्होंने इसे हम कंगालों की झोली में प्रसाद रूप् में डाल दिया है। मन में पूरा विश्वास रखिये कि यह एक चैतन्य एवं जागृत महामंत्र है। इस मंत्र का नियमित जाप और ध्यान अत्यंत मंगलकारी एवं परम कल्याण करने वाला है। इसका जाप करते हुए यही भााव रखे कि इसके आराधन से मैं प्रभु राम का सानिध्य प्राप्त कर रहा हूँ और उसकी कृपा निरंतर मुझ पर बरस रही है।

परमेश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए निरंतर अपने पर दृष्टि रखनी होगी। इसे साक्षी भाव कहते हैं। हर पल हमें अपना आत्म निरीक्षण करना है कि क्या मेरे में परिवर्तन आ रहा है, मेरे अवगुण क्षीण होकर मुझमें सद्गुणों का विकास हो रहा है? जिसका मन और चित्त शुद्ध है, वही राम कृपा का पात्र है। जिस प्रकार वर्षा का जल प्राप्त करने के लिए हम बर्तन या पात्र को स्वच्छ करके बाहर रख देते हैं, यदि पात्र उल्टा रखा होगा तो उसमें जल नहीं गिरेगा। राम कृपा को प्राप्त करने के लिए हमें भी पात्रता प्राप्त करनी होगी। जो मधुर, प्रसत्र, उदार तथा सरल है; जो सच्चाई के मार्ग पर चलता है और जिसने सेवा, त्याग और परमार्थ को अपने जीवन में उतार लिया है, वही राम कृपा को प्राप्त करेगा।

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि:‘राम नाम’ में असीम शक्ति है। सब कुछ राम का समझकर अपने कार्यों को करें। अपने जीवन की कर्मस्थली में आलस्य, प्रमाद और अवसाद को कभी नहीं आने देना। अपने कर्तव्य कर्म करते हुए अपना लक्ष्य राम का मिलाप रखना है। जब भी अवकाश मिले, मन को राम के भजन स्मरण में लगाना है। जीवन में दुःख-सुख, हानि-लाभ, आशा-निराशा मिलना-बिछुड़ना और यश-अपयश में उसकी छेक और भरोसा पकड़े रखना है। जिसने उसका सहारा लिया है वह बेसहारा नहीं। जो उसके आश्रय में है, उसे कोई निराश्रय नहीं कर सकता। जिसने उसकी चरण शरण ग्रहण कर ली है, उसे किसी और ठिकाने की आवश्यकता नहीं है। और जो उसका दास है, वह उदास नहीं हो सकता। उस परम पिता के मार्ग पर चलने वाले की साधना का मार्ग स्वयं श्री राम प्रशस्त करते हैं।

आइए, नव वर्ष के शुभी आरम्भ पर भगवान से यही मांगें-

मार्ग सत्य दिखाइये, संत सुजन का पथ।
पाप से हमें बचाइए, पकड़ हमारा हाथ।।

हाथ जोड़ मांगू हरे, सेवा, कृपा, प्यार।
विनय नम्रता दान दे, देना सब कुछ वार।।

आर्शीवाद सहित

hanshrajsign

1-1-2011