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राम

“सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम:”

नव वर्ष 2009 के शुभ अवसर पर साधको के लिए पूज्य पिता जी का शुभ संदेश

वृद्धि आस्तिक भाव की, शुभ मंगल संचार
अभ्युद्य सद्धर्म का, राम नाम विस्तार

आज वर्ष 2009 का शुभ आरम्भ हो रहा है। आप सबके साथ मिल कर नववर्ष का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए अपार हर्ष और सुख अनुभव कर रहा हूं। मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि इस पावन वेला पर हम सब मिलकर परम पूज्य गुरुदेव स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा दिया गया, प्रसाद रुप में प्राप्त, “राम नाम” के महामंत्र को गुंजायमान कर रहे है।

मुझे विश्वास ही नहीं अपितु दृढ़ निश्चय है कि यह राम नाम का महा मंत्र हमारे पाप दोषो का नष्ट करने और पुण्य कर्माे को जाग्रत करने के लिए पूर्ण रुप से सहायक है। राम नाम के जाप को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना है।

राम नाम दीपक बिना, जन मन में अंधेर
रहे इससे हे मम मन, नाम सुमाला फेर

हम अध्यात्मिक उन्नति करना चाहते हैं। इस मार्ग पर चलने के लिए मन को तैयार करना होगा और साधक करनी होगी। मन को ईश्वर की ओर लगाना साधना कहलाती है। पूर्ण उत्साह, सतत अभ्यास और ईश्वर के प्रति समर्पण साधना की सीढ़ी है। महाराज जी ने लिखा है किः

सखी, सरलता साध ले, टेड़ापन दे छोड़।
बाह्य मुखता त्याग के, भीतर को मुख मोड़।

हृदय में नाम को बसा लीजिये। राम प्रेम की ऊषमा को अपने अन्दर अनुभव करते रहें। जीवन को अनुशासित करें। मन को प्रेम की उंमग और तरगों से भर लिजिए और जीवन में सरलता, शुद्धता और सत्यता के गुणों को विकसित कीजिए। जप में अनुराग बढ़ाना है और सत्संग में नियमित रूप से जाने का संकल्प लेना है। चाहे कैसी भी कठिनाई या बाधाऐं आएं, अपने आप को धैर्य और संयम में रखते हुए, उदास एवं निराश नही होना। हर अवस्था में उसकी कृपा का अनुभव करें और आभार प्रकट करें।

नव वर्ष की पावन वेला पर परम पिता से याचना करते है कि सेवा, सिमरन एवं विनम्रता हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन जाएं। यही जीवन का सार है।

नववर्ष 2009 आपके लिए शुभ हो, आपके जीवन में नाम की ज्याति प्रज्जवलित हो और आपका आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त हो। यही मेरी आप सबके लिए शुभ कामना है।

जय श्री राम