amritvani-3

प्रार्थना का स्वरुप

प्रार्थना के समय प्रार्थी को अपनी समस्त चंचल चित्तवृतियों को शान्त करके परमात्मा में समाहित करने का प्रयास करें और ऐसा अनुभव करें कि मै उस अनन्त शक्तिमान परमात्मा के अति समीप उसकी चरण शरण में बैठा अपने हृदय की पीड़ा को सुना रहा हूं और वे शांत चित उसे सुन रहे हैं।